विश्व हिन्दी कहानीयाँ

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Thursday, April 20, 2023

अजनबी हमसफ़र

 मेरे अजनबी हमसफ़र....पुरा पढ़ना न भूलें :-वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी... उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीटी ने आकर पकड़ लिया तो..कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीटी के आने का इंतज़ार करती रही। शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी। देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा। सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था। मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा...फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया...लगभग 1 घंटे के बाद टीटी आया और उसे हिलाकर उठायाकहाँ जाना है बेटा” “अंकल दिल्ली तक जाना है”“टिकट है ?” “नहीं अंकल …. जनरल का है ….लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी”“अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा” “ओह …अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं”“ये तो गलत बात है बेटा …..पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी” “सॉरी अंकल …. मैं अगले स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी …. मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं …. कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए जल्दबाजी में घर से निकल आई … और ज्यादा पैसे रखना भूल गयी….” बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी टीटी उसे माफ़ किया और 100 रुपये में उसे दिल्ली तक उस डब्बे में बैठने की परमिशन दे दी। टीटी के जाते ही उसने अपने आँसू पोंछे और इधर-उधर देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था..थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे

श्रीदेवी के बारे में कुछ जानकारी

श्रीदेवी के बारे में कुछ जानकारी




श्रीदेवी (Sridevi) भारतीय फ़िल्म उद्योग की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। वह तमिल नाडु के सिवकासी जिले में पैदा हुई थी और उनका जन्मदिन 13 अगस्त 1963 को था। उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत बचपन से ही फ़िल्म इंडस्ट्री में किया था।


उनकी पहली फ़िल्म थी "थुंबी रमाया" (1971) जिसमें वह एक बच्ची का किरदार निभाती थीं। उन्होंने फिर तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और हिंदी फ़िल्मों में भी काम किया।


उनकी कुछ मशहूर हिंदी फ़िल्मों में से शामिल हैं "सड़क" (1986), "चांदनी" (1989), "लम्हे" (1991), "ख़ुशी" (2003) और "ईश्क़" (2012)। उन्होंने अपनी कैरियर में अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिसमें पांच राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार शामिल हैं।


श्रीदेवी 24 फ़रवरी 2018 को दुबई में अपने एक होटल के कमरे में अचानक मृत हो गईं। उन्होंने अपनी फ़िल्म कैरियर में अनेक लोगों को अपनी अदाकारी से मदद की और उन्हें अपनी आदरणीय और



Wednesday, April 19, 2023

My first blog

Tuesday, April 18, 2023

मुशीं प्रेम चन्द की कहानी

 

मुशीं प्रेमचंद जी की कहानी उनके अत्यंत महत्वपूर्ण लेखन के उत्सवों में से एक है। यह कहानी दुखद होने के साथ-साथ, एक जीवन का अनुभव भी है, जो अधिकतर लोगों के जीवन में आता है।


मुशीं एक छोटे से गांव में रहते थे और वह अपने दोस्तों से बहुत प्रेम करते थे। एक दिन, उन्होंने एक सुंदर लड़की को देखा और उससे प्रेम करने लगे। उन्होंने उसे अपने मन की बात बता दी और उसे बताया कि वह उसे बहुत प्यार करते हैं।


लेकिन दुर्भाग्य से, लड़की का पिता बहुत गरीब था और उसने अपनी बेटी की शादी के लिए एक अमीर लड़के से ठीक कर दी थी। मुशीं ने दुखी होकर यह सोचा कि वह अपनी प्रेम की बात कभी नहीं कर पाएंगे और उन्होंने अपने दोस्तों को इस बारे में बताने से भी इनकार कर दिया।


लेकिन उसके बाद से उनका दिल भी टूटने लगा और उन्होंने अपनी दुखद कहानी को लेखक बनने के रूप में उपयोग किया। मुशीं ने अपनी दुखद कहानी को 'इश्क के



Monday, April 17, 2023

Short video


 

फिल्म अभिनेता गुलशन ग्रोवर के बारे में कुछ जानकारी

 गुलशन ग्रोवर एक भारतीय फिल्म अभिनेता है जो भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रसिद्ध नाम है। वह जन्म ग्राम फाटा, हरियाणा, भारत में 21 सितंबर, 1955 को हुआ था। उनका पूरा नाम गुलशन रागवेंद्र ग्रोवर है, लेकिन उन्हें आमतौर पर गुलशन ग्रोवर के नाम से जाना जाता है।


गुलशन ग्रोवर ने अपनी करियर की शुरुआत बॉलीवुड में अभिनेता के रूप में किया, लेकिन वे भी टेलीविजन और रेडियो के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनका पहला बॉलीवुड फिल्म डेब्यू 1973 में हुई थी, जब वे फिल्म 'औरत' में अभिनय कर चुके थे। उनके बाद कई फिल्मों में उनकी अभिनय कला ने लोगों के दिलों में जगह बना ली और उन्हें एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।


गुलशन ग्रोवर की कुछ प्रमुख फिल्में हैं, जैसे कि 'चुपके चुपके', 'खिलाड़ी', 'राजा बाबू', 'दैरे', 'जलवा', 'मेरे जुनून क़ुत्ते में मैं मर जाऊँ', 'आं



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Tuesday, April 4, 2023

आफ्रीका के जनजातियां

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जनजातियों के साथ आम तौर पर धर्म और आधुनिकता के बीच एक संघर्ष भी होता है। अधिकांश जनजातियां अपनी परंपराओं और धर्मों को महत्व देती हैं, जो उन्हें उनकी संस्कृति के साथ संबंधित मान्यताओं और भावनाओं के साथ जोड़ती हैं। इसके बावजूद, कुछ जनजातियां आधुनिक जीवनशैली का अनुसरण कर रही हैं जिसमें वे स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और उद्योग, कृषि और व्यापार में भी अपना अधिकार बनाने में सक्षम हो रहे हैं।


आफ्रीकी जनजातियों की रक्षा, संरक्षण और उनके साथ सम्बंधित समस्याओं का संबोधन करने के लिए कुछ संगठन भी हैं। वे जनजाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा करते हैं, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देते हैं और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हैं।


आफ्रीकी जनजातियों की विस्तृत संख्या और अलग-अलग संस्कृतियों का मिश्रण आफ्रीका को एक बहुमुखी समाज बनाता



मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश, भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है जो भारतीय महासागर के मध्य में स्थित है। यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है और इसकी राजधानी भोपाल है। ...